सोमवार, मार्च 9

"दर्दे दिल "


जब तुझे दिल से भुलाने की कसम खाई है ,

और भी ज्यादा तेरी याद आई है ।


बात करता हूँ तो जल उठ ता है पहलू अपना,

आह भरता हूँ तो अन्दसे कस्बाई है ।


शहमे हुए आंसू है मेरी आंखों मैं ,

डरते डरते मेरे होंठों पे हँसी आई है .


देखें किस तरह पहुचंगे किनारे,

नाब तूफ़ा मैं है मल्ल्हा को नीद आई है .


इन्क्लाबत ने यू अजब गुलिस्तान बदला ,

फूल मुरझा गए होंठों पे बहार आई है .

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