जब तुझे दिल से भुलाने की कसम खाई है ,
और भी ज्यादा तेरी याद आई है ।
बात करता हूँ तो जल उठ ता है पहलू अपना,
आह भरता हूँ तो अन्दसे कस्बाई है ।
शहमे हुए आंसू है मेरी आंखों मैं ,
डरते डरते मेरे होंठों पे हँसी आई है .
देखें किस तरह पहुचंगे किनारे,
नाब तूफ़ा मैं है मल्ल्हा को नीद आई है .
इन्क्लाबत ने यू अजब गुलिस्तान बदला ,
फूल मुरझा गए होंठों पे बहार आई है .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें